🪔 कहानी का शीर्षक: “अधूरी थाली का पूरा संदेश”

 🪔 कहानी का शीर्षक: “अधूरी थाली का पूरा संदेश”



📖 कहानी:

गाँव के एक छोटे से स्कूल में भोजन योजना चल रही थी। एक दिन, एक बच्चा "राघव" अपनी थाली लेकर बैठा, लेकिन उसकी थाली में दाल नहीं थी। सभी बच्चे चुपचाप खाने लगे, लेकिन राघव की आँखें दाल की कटोरी की तरफ बार-बार देखने लगीं।
शिक्षक ने देखा कि राघव बेचैन है। उन्होंने पूछा,
“बेटा, क्या तुम्हें कुछ चाहिए?”
राघव बोला, “सर, मेरी थाली अधूरी है। दाल नहीं है।”
शिक्षक मुस्कराए और बोले, “बिलकुल सही कहा तुमने। बेटा, जैसे बिना दाल के थाली अधूरी लगती है, वैसे ही जीवन में ईमानदारी, सम्मान, और सत्य के बिना जीवन अधूरा लगता है।”
फिर उन्होंने सभी बच्चों से पूछा, “अगर हम रोज़ पेट भर खाना खाएं लेकिन किसी का दिल दुखाएं, क्या हम सही इंसान कहलाएंगे?”
सभी बच्चों ने सिर हिलाया — “नहीं सर!”
शिक्षक बोले, “तो याद रखो, जैसे शरीर को खाना चाहिए, वैसे ही आत्मा को नैतिकता और आदर्शों की जरूरत होती है।”
उस दिन से राघव और उसके दोस्तों ने ठान लिया कि वे सच्चाई, ईमानदारी और दूसरों की मदद को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँगे।
🎯 कहानी से सीख (Moral of the Story):
“जैसे अधूरी थाली तृप्त नहीं करती, वैसे ही जीवन बिना आदर्शों के अधूरा होता है।”
सच्चाई, ईमानदारी और करुणा — यही जीवन की असली पूंजी हैं।

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