"सच्चे सोने की पहचान" moral story

                        moral story
              "सच्चे सोने की पहचान"

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक सुनार रहता था, जिसका नाम हरिदास था। वह अपने काम में निपुण था, लेकिन बहुत ही लालची भी था। वह अक्सर ग्राहकों को धोखा देकर ज्यादा पैसा वसूलता था।

एक दिन गाँव में एक साधु आए। उनके पास एक पुराना सा कंगन था जिसे वह बेचने के लिए सुनार के पास लाए। हरिदास ने उसे देखा और कहा, "यह तो नकली है, मैं इसके सिर्फ 50 रुपये ही दे सकता हूँ।"

साधु मुस्कुराए और बोले, "ठीक है, लेकिन क्या तुम इसे जरा आग में रखकर परख सकते हो?" हरिदास ने बात मान ली। जब कंगन को आग में तपाया गया, तो वह चमक उठा। असली सोना देखकर हरिदास दंग रह गया। वह शर्मिंदा हो गया और बोला, "माफ कीजिए, यह तो असली है, इसकी कीमत 5,000 रुपये है।"

साधु बोले, "बिल्कुल सही, लेकिन तुम्हारा स्वभाव भी अगर आग की तरह ईमानदारी से तपेगा, तभी असली इंसान बन पाओगे।" यह एक moral story है जो हमें सिखाती है कि असली पहचान बाहर से नहीं, बल्कि भीतर की सच्चाई से होती है। 

शिक्षा (Moral): सच्चाई और ईमानदारी ही इंसान को असली मूल्यवान बनाते हैं।


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