Osho के 150 +अनमोल विचार जो बदल सकते हैं आपका जीवन | Life Changing Thoughts by Osho
Osho के 150 अनमोल विचार जो बदल सकते हैं आपका जीवन | Life Changing Thoughts by Osho
एक रहस्य है, और इस रहस्य को समझने के लिए हमें भीतर झाँकना पड़ता है। ओशो, जिन्हें रजनीश के नाम से भी जाना जाता है, ऐसे आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने दुनियाभर के लाखों लोगों को जागरूकता, प्रेम और ध्यान की राह दिखाई। उनके विचार सरल होने के साथ-साथ गहराई से भरे होते हैं, जो व्यक्ति को आत्मा की यात्रा पर ले जाते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से ओशो के 150 ऐसे अनमोल विचारों से मिलते हैं, जो आपके जीवन की दिशा को एक नई रोशनी दे सकते हैं।
ओशो प्रेरित विचार - 1 से 25
1. मौन को सुनो, शब्दों से नहीं — आत्मा से।
2. तुम जिस प्रेम की तलाश कर रहे हो, वह तुम्हारे भीतर छुपा है।
3. जीवन एक फूल है — ध्यान उनका सुगंध है
4. जो बाहर भटक रहा है, वह भीतर से खाली है।
5. आत्मा को कोई ग्रंथ नहीं पढ़ा सकता, केवल अनुभव सिखा सकता है।
6. धर्म कोई संस्था नहीं, यह तो जागृति की सीढ़ी है।
7. भीतर की यात्रा सबसे रोमांचक यात्रा होती है।
8. हर क्षण नया है, पुराने बोझ को उतार दो।
9. जब तुम खुद को स्वीकार करते हो, तब परमात्मा तुम्हें छूता है।
10. प्रेम ईश्वर नहीं, लेकिन प्रेम में ईश्वर ज़रूर मिल सकता है।
11. ध्यान कोई अभ्यास नहीं, यह जीवन जीने का तरीका है।
12. समाज जो कहता है, वह सत्य नहीं — जो तुम अनुभव करो वही सत्य है।
13. अपनी आत्मा के साथ दोस्ती कर लो, दुनिया से दुश्मनी मिट जाएगी।
14. जहाँ भय है, वहाँ ईश्वर नहीं हो सकता।
15. अंधकार को मिटाने की ज़रूरत नहीं, सिर्फ एक दीप जलाना है।
16. सत्य को मत पकड़ो, उसे महसूस करो।
17. जीवन बहता जल है — स्थिरता मृत्यु है।
18. जो स्वयं से प्यार करता है, वह दूसरों से भी सहज प्रेम करता है।
19. अध्यात्म कोई बोझ नहीं, यह तो सबसे बड़ी आज़ादी है।
20. मन का शोर जब थमता है, तब भीतर का संगीत सुनाई देता है।
21. विचारों की भीड़ में स्वयं को खोना मत।
22. हर दिन एक ध्यान बन सकता है, अगर तुम सजग रहो।
23. गुरु वह नहीं जो सिखाए — गुरु वह है जो तुम्हें तुम्हारे भीतर ले जाए।
24. प्रेम की शुरुआत स्वयं से होती है।
25. जब तुम सच में आज़ाद हो जाते हो, तब ही तुम ईश्वर को जानते हो।
ओशो प्रेरित विचार - 26 से 50
26. ध्यान कोई अभ्यास नहीं — यह जागने की कला है।
27. जो समय के पार है, वही शाश्वत है।
28. आत्मा को जानने के लिए आँख बंद करनी पड़ती है, लेकिन मन को खोलना पड़ता है।
29. जिस दिन तुमने खुद को समझ लिया, उसी दिन पूरी दुनिया स्पष्ट हो जाएगी।
30. भीतर उतरना आसान है, बस बाहरी आकर्षण छोड़ना पड़ता है।
31. तुम जहाँ हो, वहीं स्वर्ग बन सकता है — अगर तुम सजग हो।
32. जो अभी में जीता है, वही अनंत को जानता है।
33. भय सिर्फ अज्ञानता की परछाई है।
34. जब तुम प्रेम करते हो, तो तुम ईश्वर के निकट आ जाते हो।
35. जीवन कोई समस्या नहीं, यह तो एक रहस्य है — जीओ, सुलझाओ मत।
36. चुप्पी वह भाषा है, जिसमें परमात्मा सबसे ज़्यादा बोलता है।
37. बाहर की दुनिया तुम्हारा प्रतिबिंब है, अंदर बदलो — बाहर अपने आप बदल जाएगा।
38. गुरु रास्ता नहीं देता, वह तुम्हारे भीतर की मशाल जलाता है।
39. मन भ्रम पैदा करता है, आत्मा स्पष्टता लाती है।
40. स्वीकृति में अपार शक्ति है — विरोध में केवल तनाव है।
41. जो चला गया, उसे जाने दो — जो आ रहा है, उसका स्वागत करो।
42. प्रेम अधिकार नहीं चाहता, वह बस बहता है।
43. हर अनुभव एक द्वार है — भीतर जाने का।
44. सत्य बोलना आसान है, जब तुमने झूठ बोलना बंद कर दिया हो।
45. कोई तुम्हें ज्ञान नहीं दे सकता — वह तुम्हारे भीतर ही छुपा है।
46. जब तुम बिना कारण मुस्कुराते हो, वही ध्यान की शुरुआत है।
47. जीवन संयोग नहीं, यह तुम्हारा प्रतिबिंब है।
48. जितना तुम छोड़ते हो, उतना ही तुम्हें प्राप्त होता है।
49. सच्चा धर्म कोई नाम नहीं लेता — वह बस मौन होता है।
50. तुम जितना गहराई में जाओगे, उतना ही शांति से भर जाओगे।
ओशो प्रेरित विचार - 51 से 75
51. जागृति कोई मंज़िल नहीं, यह तो हर पल का अनुभव है।
52. प्रेम को समझो, उसे परिभाषित मत करो।
53. तुम जो हो, उसे पूरी तरह स्वीकार कर लेना — वही ध्यान की शुरुआत है।
54. मन चीजों को जटिल बनाता है, आत्मा सब कुछ सरल कर देती है।
55. जहाँ नियंत्रण है, वहाँ प्रेम नहीं हो सकता।
56. जीवन का हर क्षण एक अवसर है — अपने भीतर लौटने का।
57. दुनिया को बदलने से पहले, खुद को देखो।
58. जो भीतर से खाली है, वह बाहर से भरने की कोशिश करता है।
59. शांति पाने के लिए संघर्ष मत करो — बस शांत हो जाओ।
60. परम सत्य शब्दों में नहीं, मौन में उतरता है।
61. बुद्धि सोचती है, लेकिन प्रेम जानता है।
62. खुद को जान लेना ही सबसे बड़ा चमत्कार है।
63. दूसरों को क्षमा करना आसान है, खुद को क्षमा करना आत्मज्ञान है।
64. प्रत्येक साँस एक ध्यान है, यदि तुम सजग हो।
65. धर्म कोई अनुशासन नहीं, यह स्वतंत्रता का एहसास है।
66. जब तुम भीतर से मुस्कराते हो, बाहर की दुनिया भी खिल उठती है।
67. हर मनुष्य के भीतर एक संत छिपा है — जागो!
68. साधु वो नहीं जो वस्त्र छोड़ दे, साधु वो है जो अहंकार छोड़ दे।
69. चेतना कभी थकती नहीं, थकता है केवल शरीर और मन।
70. जब तुम कुछ भी बनने की आकांक्षा छोड़ते हो, तभी तुम कुछ बन जाते हो।
71. सत्य एक दर्पण है — देखना है तो भ्रम का पर्दा हटाओ।
72. जीवन न तो संघर्ष है, न प्रतियोगिता — यह तो उत्सव है।
73. मौन वह सेतु है जो मन से आत्मा को जोड़ता है।
74. अध्यात्म कोई नाटक नहीं — यह ईमानदार होना है, पूरी तरह।
75. ईश्वर को पाना नहीं पड़ता, बस खो जाना पड़ता है।
ओशो प्रेरित विचार - 76 से 100
76. ध्यान कोई प्रयास नहीं, यह सहजता की उड़ान है।
77. तुम जिस सत्य को खोज रहे हो, वह तुम्हारी खामोशी में छुपा है।
78. जीवन तब सरल होता है जब तुम जजमेंट करना छोड़ देते हो।
79. प्रेम में पड़ो, लेकिन स्व से दूर मत हो।
80. तुम्हारा सबसे बड़ा गुरू तुम्हारा अनुभव है।
81. संसार एक रंगमंच है, और तुम केवल दर्शक हो।
82. जो भीतर का अंधकार पहचान ले, वही प्रकाश को पा सकता है।
83. सत्य कभी किसी पुस्तक में नहीं होता, वह तो तुम्हारी चेतना में छुपा होता है।
84. दूसरों को बदलना असंभव है — खुद को बदलो, सब बदल जाएगा।
85. मन सवाल करता है, आत्मा उत्तर देती है — बीच में मौन है।
86. हर विचार एक बादल है, लेकिन तुम आकाश हो — उसे मत भूलो।
87. सच्चा प्रेम मांगता नहीं, बस देता है।
88. जब तुम 'मैं' से मुक्त हो जाते हो, तब ईश्वर का द्वार खुलता है।
89. जीवन को जियो ऐसे जैसे यह नृत्य हो — बिना डर, बिना सीमा।
90. जो व्यक्ति अपनी असफलता को भी प्रेम करता है, वह जीवन को जानता है।
91. आत्मा कभी भयभीत नहीं होती — डर केवल मन का भ्रम है।
92. जीवन कोई युद्ध नहीं, यह ध्यान की यात्रा है।
93. ईश्वर कोई आकृति नहीं, वह अनुभव है — और वह भी भीतर का।
94. मौन को सुनना, किसी मंत्र से अधिक शक्तिशाली हो सकता है।
95. जब तुम कुछ भी नहीं बनना चाहते, तभी तुम सबसे सुंदर बनते हो।
96. ध्यान में कोई लक्ष्य नहीं होता — केवल होना होता है।
97. प्रेम की शुरुआत तब होती है जब तुम खुद को माफ कर देते हो।
98. भीतर उतरना साहस मांगता है, क्योंकि वहाँ तुम्हारा असली चेहरा है।
99. सच्चा धर्म डर नहीं पैदा करता, वह तुम्हें उड़ना सिखाता है।
100. जो व्यक्ति जीवन के हर रंग को स्वीकारता है, वही सच्चा साधक है।
ओशो प्रेरित विचार - 101 से 125
101. मन हर चीज़ को जटिल बनाता है, आत्मा उसे सरल कर देती है।
102. जब तुम खुद को पकड़ना छोड़ देते हो, तब परम शांति मिलती है।
103. जो खोजता है वह भ्रम में है, जो देखता है वह जानता है।
104. ईश्वर कोई वस्तु नहीं, वह चेतना की गहराई है।
105. प्रेम के रास्ते में खो जाना, ध्यान की शुरुआत है।
106. भीतर की यात्रा में न कोई मानचित्र है, न मंज़िल — सिर्फ जागरूकता है।
107. हर प्रश्न के उत्तर के पीछे मौन खड़ा होता है।
108. सच्चा धार्मिक वह है जो जीवन को पूरी तरह जीता है — बिना डर के।
109. तुम जितना भीतर जाओगे, उतनी बाहरी दुनिया फीकी लगेगी।
110. ध्यान वह कला है जहाँ तुम खुद से मिलते हो — पहली बार।
111. स्वयं को स्वीकार कर लेना — यही सबसे बड़ा प्रेम है।
112. अस्तित्व तुमसे कुछ नहीं चाहता — बस तुम्हारी मौन उपस्थिति।
113. चेतना को जगाना किसी मंदिर जाने से बड़ा कार्य है।
114. ध्यान में बैठना केवल बैठना नहीं — यह स्वयं में उतरना है।
115. ईश्वर को जानने की जल्दी मत करो — पहले खुद को जानो।
116. जब कोई उद्देश्य न हो, तब ध्यान खिलता है।
117. जीवन एक प्रश्न नहीं, एक कविता है — उसे महसूस करो।
118. तुम वह नहीं जो लोग कहते हैं, तुम वह हो जो भीतर से गूंजता है।
119. मन तुम्हें अतीत में ले जाता है, ध्यान तुम्हें वर्तमान में लाता है।
120. तुम्हारी मौन उपस्थिति किसी उपदेश से अधिक प्रभावशाली हो सकती है।
121. प्रेम तब तक अधूरा है, जब तक उसमें स्वतंत्रता न हो।
122. संसार छोड़ने की आवश्यकता नहीं — बस मोह छोड़ दो।
123. साधना वह दरवाज़ा है जिससे होकर तुम अपने असली स्वरूप में प्रवेश करते हो।
124. हर साँस ध्यान बन सकती है — यदि तुम उसे देख सको।
125. आत्मज्ञान बाहर से नहीं आता — यह भीतर से फूटता है।
ओशो प्रेरित विचार - 126 से 150
126. जिस क्षण तुम रुके, उसी क्षण परमात्मा ने प्रवेश किया।
127. अस्तित्व के साथ एक हो जाना — यही ध्यान की पूर्णता है।
128. तुम जितना भीतर की सुनते हो, उतना ही बाहर का शोर अर्थहीन हो जाता है।
129. जहां अपेक्षा नहीं, वहीं सच्चा प्रेम खिलता है।
130. जीवन का कोई अर्थ नहीं — यह स्वयं एक सौंदर्य है।
131. आंखें बंद करना दुनिया से भागना नहीं, स्वयं से मिलने जाना है।
132. मौन में इतनी शक्ति है कि वह तुम्हारे समस्त भ्रमों को जला देता है।
133. धर्म वह है जो डर नहीं, प्रेम पैदा करे।
134. तुम्हारे हर "क्यों" का उत्तर ध्यान में छुपा है।
135. आनंद कोई उपलब्धि नहीं, यह तो स्वभाव है — उसे पहचानो।
136. संसार को बदलना असंभव है, पर खुद को बदलना सहज है।
137. जब तुम पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हो, तभी तुम मुक्त होते हो।
138. भीतर उतरने की यात्रा अकेली होती है — लेकिन सबसे सच्ची।
139. तुम जितने शून्य होते जाओगे, उतने ही पूर्ण होते जाओगे।
140. जो है, उसे देखो — जो नहीं है, उसकी कल्पना मत करो।
141. बोधि का द्वार मन से नहीं, हृदय से खुलता है।
142. सच्चा धर्म वही है, जो तुम्हें स्वतंत्रता की ओर ले जाए।
143. जब तुम गिरते हो, तब भी अस्तित्व तुम्हें थामे रहता है — भरोसा रखो।
144. जो रोशनी बाहर खोजता है, वह अंधकार में भटकता है।
145. आत्मा के गीत केवल मौन सुन सकता है।
146. ध्यान से बड़ा कोई उपाय नहीं — यह समाधान नहीं, समाधान के पार है।
147. भीतर का प्रेम जब बाहर बहता है, तब करुणा जन्म लेती है।
148. तुम स्वयं एक मंदिर हो — उसे बाहर मत ढूंढो।
149. जब तुम सच में मौन हो जाते हो, तब अस्तित्व बोलता है।
150. परम सत्य को पाने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता सिर्फ होना पड़ता है।
1. मौन को सुनो, शब्दों से नहीं — आत्मा से।
2. तुम जिस प्रेम की तलाश कर रहे हो, वह तुम्हारे भीतर छुपा है।
3. जीवन एक फूल है — ध्यान उनका सुगंध है
4. जो बाहर भटक रहा है, वह भीतर से खाली है।
5. आत्मा को कोई ग्रंथ नहीं पढ़ा सकता, केवल अनुभव सिखा सकता है।
6. धर्म कोई संस्था नहीं, यह तो जागृति की सीढ़ी है।
7. भीतर की यात्रा सबसे रोमांचक यात्रा होती है।
8. हर क्षण नया है, पुराने बोझ को उतार दो।
9. जब तुम खुद को स्वीकार करते हो, तब परमात्मा तुम्हें छूता है।
10. प्रेम ईश्वर नहीं, लेकिन प्रेम में ईश्वर ज़रूर मिल सकता है।
11. ध्यान कोई अभ्यास नहीं, यह जीवन जीने का तरीका है।
12. समाज जो कहता है, वह सत्य नहीं — जो तुम अनुभव करो वही सत्य है।
13. अपनी आत्मा के साथ दोस्ती कर लो, दुनिया से दुश्मनी मिट जाएगी।
14. जहाँ भय है, वहाँ ईश्वर नहीं हो सकता।
15. अंधकार को मिटाने की ज़रूरत नहीं, सिर्फ एक दीप जलाना है।
16. सत्य को मत पकड़ो, उसे महसूस करो।
17. जीवन बहता जल है — स्थिरता मृत्यु है।
18. जो स्वयं से प्यार करता है, वह दूसरों से भी सहज प्रेम करता है।
19. अध्यात्म कोई बोझ नहीं, यह तो सबसे बड़ी आज़ादी है।
20. मन का शोर जब थमता है, तब भीतर का संगीत सुनाई देता है।
21. विचारों की भीड़ में स्वयं को खोना मत।
22. हर दिन एक ध्यान बन सकता है, अगर तुम सजग रहो।
23. गुरु वह नहीं जो सिखाए — गुरु वह है जो तुम्हें तुम्हारे भीतर ले जाए।
24. प्रेम की शुरुआत स्वयं से होती है।
25. जब तुम सच में आज़ाद हो जाते हो, तब ही तुम ईश्वर को जानते हो।
ओशो प्रेरित विचार - 26 से 50
26. ध्यान कोई अभ्यास नहीं — यह जागने की कला है।
27. जो समय के पार है, वही शाश्वत है।
28. आत्मा को जानने के लिए आँख बंद करनी पड़ती है, लेकिन मन को खोलना पड़ता है।
29. जिस दिन तुमने खुद को समझ लिया, उसी दिन पूरी दुनिया स्पष्ट हो जाएगी।
30. भीतर उतरना आसान है, बस बाहरी आकर्षण छोड़ना पड़ता है।
31. तुम जहाँ हो, वहीं स्वर्ग बन सकता है — अगर तुम सजग हो।
32. जो अभी में जीता है, वही अनंत को जानता है।
33. भय सिर्फ अज्ञानता की परछाई है।
34. जब तुम प्रेम करते हो, तो तुम ईश्वर के निकट आ जाते हो।
35. जीवन कोई समस्या नहीं, यह तो एक रहस्य है — जीओ, सुलझाओ मत।
36. चुप्पी वह भाषा है, जिसमें परमात्मा सबसे ज़्यादा बोलता है।
37. बाहर की दुनिया तुम्हारा प्रतिबिंब है, अंदर बदलो — बाहर अपने आप बदल जाएगा।
38. गुरु रास्ता नहीं देता, वह तुम्हारे भीतर की मशाल जलाता है।
39. मन भ्रम पैदा करता है, आत्मा स्पष्टता लाती है।
40. स्वीकृति में अपार शक्ति है — विरोध में केवल तनाव है।
41. जो चला गया, उसे जाने दो — जो आ रहा है, उसका स्वागत करो।
42. प्रेम अधिकार नहीं चाहता, वह बस बहता है।
43. हर अनुभव एक द्वार है — भीतर जाने का।
44. सत्य बोलना आसान है, जब तुमने झूठ बोलना बंद कर दिया हो।
45. कोई तुम्हें ज्ञान नहीं दे सकता — वह तुम्हारे भीतर ही छुपा है।
46. जब तुम बिना कारण मुस्कुराते हो, वही ध्यान की शुरुआत है।
47. जीवन संयोग नहीं, यह तुम्हारा प्रतिबिंब है।
48. जितना तुम छोड़ते हो, उतना ही तुम्हें प्राप्त होता है।
49. सच्चा धर्म कोई नाम नहीं लेता — वह बस मौन होता है।
50. तुम जितना गहराई में जाओगे, उतना ही शांति से भर जाओगे।
ओशो प्रेरित विचार - 51 से 75
51. जागृति कोई मंज़िल नहीं, यह तो हर पल का अनुभव है।
52. प्रेम को समझो, उसे परिभाषित मत करो।
53. तुम जो हो, उसे पूरी तरह स्वीकार कर लेना — वही ध्यान की शुरुआत है।
54. मन चीजों को जटिल बनाता है, आत्मा सब कुछ सरल कर देती है।
55. जहाँ नियंत्रण है, वहाँ प्रेम नहीं हो सकता।
56. जीवन का हर क्षण एक अवसर है — अपने भीतर लौटने का।
57. दुनिया को बदलने से पहले, खुद को देखो।
58. जो भीतर से खाली है, वह बाहर से भरने की कोशिश करता है।
59. शांति पाने के लिए संघर्ष मत करो — बस शांत हो जाओ।
60. परम सत्य शब्दों में नहीं, मौन में उतरता है।
61. बुद्धि सोचती है, लेकिन प्रेम जानता है।
62. खुद को जान लेना ही सबसे बड़ा चमत्कार है।
63. दूसरों को क्षमा करना आसान है, खुद को क्षमा करना आत्मज्ञान है।
64. प्रत्येक साँस एक ध्यान है, यदि तुम सजग हो।
65. धर्म कोई अनुशासन नहीं, यह स्वतंत्रता का एहसास है।
66. जब तुम भीतर से मुस्कराते हो, बाहर की दुनिया भी खिल उठती है।
67. हर मनुष्य के भीतर एक संत छिपा है — जागो!
68. साधु वो नहीं जो वस्त्र छोड़ दे, साधु वो है जो अहंकार छोड़ दे।
69. चेतना कभी थकती नहीं, थकता है केवल शरीर और मन।
70. जब तुम कुछ भी बनने की आकांक्षा छोड़ते हो, तभी तुम कुछ बन जाते हो।
71. सत्य एक दर्पण है — देखना है तो भ्रम का पर्दा हटाओ।
72. जीवन न तो संघर्ष है, न प्रतियोगिता — यह तो उत्सव है।
73. मौन वह सेतु है जो मन से आत्मा को जोड़ता है।
74. अध्यात्म कोई नाटक नहीं — यह ईमानदार होना है, पूरी तरह।
75. ईश्वर को पाना नहीं पड़ता, बस खो जाना पड़ता है।
ओशो प्रेरित विचार - 76 से 100
76. ध्यान कोई प्रयास नहीं, यह सहजता की उड़ान है।
77. तुम जिस सत्य को खोज रहे हो, वह तुम्हारी खामोशी में छुपा है।
78. जीवन तब सरल होता है जब तुम जजमेंट करना छोड़ देते हो।
79. प्रेम में पड़ो, लेकिन स्व से दूर मत हो।
80. तुम्हारा सबसे बड़ा गुरू तुम्हारा अनुभव है।
81. संसार एक रंगमंच है, और तुम केवल दर्शक हो।
82. जो भीतर का अंधकार पहचान ले, वही प्रकाश को पा सकता है।
83. सत्य कभी किसी पुस्तक में नहीं होता, वह तो तुम्हारी चेतना में छुपा होता है।
84. दूसरों को बदलना असंभव है — खुद को बदलो, सब बदल जाएगा।
85. मन सवाल करता है, आत्मा उत्तर देती है — बीच में मौन है।
86. हर विचार एक बादल है, लेकिन तुम आकाश हो — उसे मत भूलो।
87. सच्चा प्रेम मांगता नहीं, बस देता है।
88. जब तुम 'मैं' से मुक्त हो जाते हो, तब ईश्वर का द्वार खुलता है।
89. जीवन को जियो ऐसे जैसे यह नृत्य हो — बिना डर, बिना सीमा।
90. जो व्यक्ति अपनी असफलता को भी प्रेम करता है, वह जीवन को जानता है।
91. आत्मा कभी भयभीत नहीं होती — डर केवल मन का भ्रम है।
92. जीवन कोई युद्ध नहीं, यह ध्यान की यात्रा है।
93. ईश्वर कोई आकृति नहीं, वह अनुभव है — और वह भी भीतर का।
94. मौन को सुनना, किसी मंत्र से अधिक शक्तिशाली हो सकता है।
95. जब तुम कुछ भी नहीं बनना चाहते, तभी तुम सबसे सुंदर बनते हो।
96. ध्यान में कोई लक्ष्य नहीं होता — केवल होना होता है।
97. प्रेम की शुरुआत तब होती है जब तुम खुद को माफ कर देते हो।
98. भीतर उतरना साहस मांगता है, क्योंकि वहाँ तुम्हारा असली चेहरा है।
99. सच्चा धर्म डर नहीं पैदा करता, वह तुम्हें उड़ना सिखाता है।
100. जो व्यक्ति जीवन के हर रंग को स्वीकारता है, वही सच्चा साधक है।
ओशो प्रेरित विचार - 101 से 125
101. मन हर चीज़ को जटिल बनाता है, आत्मा उसे सरल कर देती है।
102. जब तुम खुद को पकड़ना छोड़ देते हो, तब परम शांति मिलती है।
103. जो खोजता है वह भ्रम में है, जो देखता है वह जानता है।
104. ईश्वर कोई वस्तु नहीं, वह चेतना की गहराई है।
105. प्रेम के रास्ते में खो जाना, ध्यान की शुरुआत है।
106. भीतर की यात्रा में न कोई मानचित्र है, न मंज़िल — सिर्फ जागरूकता है।
107. हर प्रश्न के उत्तर के पीछे मौन खड़ा होता है।
108. सच्चा धार्मिक वह है जो जीवन को पूरी तरह जीता है — बिना डर के।
109. तुम जितना भीतर जाओगे, उतनी बाहरी दुनिया फीकी लगेगी।
110. ध्यान वह कला है जहाँ तुम खुद से मिलते हो — पहली बार।
111. स्वयं को स्वीकार कर लेना — यही सबसे बड़ा प्रेम है।
112. अस्तित्व तुमसे कुछ नहीं चाहता — बस तुम्हारी मौन उपस्थिति।
113. चेतना को जगाना किसी मंदिर जाने से बड़ा कार्य है।
114. ध्यान में बैठना केवल बैठना नहीं — यह स्वयं में उतरना है।
115. ईश्वर को जानने की जल्दी मत करो — पहले खुद को जानो।
116. जब कोई उद्देश्य न हो, तब ध्यान खिलता है।
117. जीवन एक प्रश्न नहीं, एक कविता है — उसे महसूस करो।
118. तुम वह नहीं जो लोग कहते हैं, तुम वह हो जो भीतर से गूंजता है।
119. मन तुम्हें अतीत में ले जाता है, ध्यान तुम्हें वर्तमान में लाता है।
120. तुम्हारी मौन उपस्थिति किसी उपदेश से अधिक प्रभावशाली हो सकती है।
121. प्रेम तब तक अधूरा है, जब तक उसमें स्वतंत्रता न हो।
122. संसार छोड़ने की आवश्यकता नहीं — बस मोह छोड़ दो।
123. साधना वह दरवाज़ा है जिससे होकर तुम अपने असली स्वरूप में प्रवेश करते हो।
124. हर साँस ध्यान बन सकती है — यदि तुम उसे देख सको।
125. आत्मज्ञान बाहर से नहीं आता — यह भीतर से फूटता है।
ओशो प्रेरित विचार - 126 से 150
126. जिस क्षण तुम रुके, उसी क्षण परमात्मा ने प्रवेश किया।
127. अस्तित्व के साथ एक हो जाना — यही ध्यान की पूर्णता है।
128. तुम जितना भीतर की सुनते हो, उतना ही बाहर का शोर अर्थहीन हो जाता है।
129. जहां अपेक्षा नहीं, वहीं सच्चा प्रेम खिलता है।
130. जीवन का कोई अर्थ नहीं — यह स्वयं एक सौंदर्य है।
131. आंखें बंद करना दुनिया से भागना नहीं, स्वयं से मिलने जाना है।
132. मौन में इतनी शक्ति है कि वह तुम्हारे समस्त भ्रमों को जला देता है।
133. धर्म वह है जो डर नहीं, प्रेम पैदा करे।
134. तुम्हारे हर "क्यों" का उत्तर ध्यान में छुपा है।
135. आनंद कोई उपलब्धि नहीं, यह तो स्वभाव है — उसे पहचानो।
136. संसार को बदलना असंभव है, पर खुद को बदलना सहज है।
137. जब तुम पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हो, तभी तुम मुक्त होते हो।
138. भीतर उतरने की यात्रा अकेली होती है — लेकिन सबसे सच्ची।
139. तुम जितने शून्य होते जाओगे, उतने ही पूर्ण होते जाओगे।
140. जो है, उसे देखो — जो नहीं है, उसकी कल्पना मत करो।
141. बोधि का द्वार मन से नहीं, हृदय से खुलता है।
142. सच्चा धर्म वही है, जो तुम्हें स्वतंत्रता की ओर ले जाए।
143. जब तुम गिरते हो, तब भी अस्तित्व तुम्हें थामे रहता है — भरोसा रखो।
144. जो रोशनी बाहर खोजता है, वह अंधकार में भटकता है।
145. आत्मा के गीत केवल मौन सुन सकता है।
146. ध्यान से बड़ा कोई उपाय नहीं — यह समाधान नहीं, समाधान के पार है।
147. भीतर का प्रेम जब बाहर बहता है, तब करुणा जन्म लेती है।
148. तुम स्वयं एक मंदिर हो — उसे बाहर मत ढूंढो।
149. जब तुम सच में मौन हो जाते हो, तब अस्तित्व बोलता है।
150. परम सत्य को पाने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता सिर्फ होना पड़ता है।
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