राजकुमार से गौतम बुद्ध बनने की कहानी
गौतम बुद्ध की संक्षिप्त कहानी गौतम बुद्ध की कहानी एक राजकुमार से जागृत आत्मा तक की प्रेरक यात्रा है। आइए, इसे संक्षेप में जानें।
जीवन का बदलाव 29 साल की उम्र में, सिद्धार्थ ने चार दृश्य देखे—एक वृद्ध, एक बीमार, एक मृत व्यक्ति, और एक संन्यासी। इनसे उन्हें जीवन के दुखों का बोध हुआ। सत्य की खोज के लिए, उन्होंने महल, परिवार और सुख त्याग दिए और संन्यासी बन गए।
सत्य की खोजसिद्धार्थ ने कई साल कठोर तपस्या की, लेकिन शांति नहीं मिली। फिर उन्होंने मध्यम मार्ग चुना—न भोग, न अत्यधिक त्याग। बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए, 35 साल की उम्र में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। वे "बुद्ध" बन गए।
शिक्षा और अंतबुद्ध ने 45 साल तक लोगों को चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग सिखाया। उनकी शिक्षाएं करुणा और अहिंसा पर आधारित थीं। 80 साल की उम्र में, कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ।
संदेशबुद्ध की कहानी हमें सिखाती है कि सत्य और शांति की खोज ही जीवन का असली मकसद है। उनका जीवन प्रेरणा देता है कि संतुलन और समर्पण से हम भी अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
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