आज के श्रीकृष्ण प्रेरणा वाक्य | Shri Krishna Motivational Thoughts in Hindi







कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”

श्रीकृष्ण का यह सबसे प्रसिद्ध उपदेश है। इसका अर्थ है कि हमें सिर्फ अपना कर्म पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, फल अपने आप मिलेगा।

2. “जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह भी अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।”

यह विचार जीवन में संतुलन बनाए रखने की सीख देता है – जो हमारे हाथ में नहीं है, उस पर चिंता करना व्यर्थ है।

3. “जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं जन्म लेता हूँ।”

इसका भावार्थ है कि जब भी दुनिया में अन्याय बढ़ता है, सत्य और धर्म की रक्षा के लिए शक्ति स्वयं प्रकट होती है – आपके भीतर भी।

4. “मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।”

श्रीकृष्ण कहते हैं कि हमारा आत्मविश्वास ही हमारी असली शक्ति है। विश्वास करो तो असंभव भी संभव हो जाता है।

5. “अपने मन को जीत लो, वही सबसे बड़ा विजेता है।”

शत्रु बाहर नहीं, हमारे अंदर है – जो अपने मन को नियंत्रित कर ले, वह सच्चा योद्धा है।

6. “अहंकार मत पालो, क्योंकि तुम्हारे बिना भी यह संसार चल रहा था और चलता रहेगा।”

श्रीकृष्ण हमें विनम्रता सिखाते हैं – जो स्वयं को बड़ा समझता है, वह सबसे छोटा हो जाता है।

7. “संघर्ष जीवन का नियम है, उससे भागना नहीं, उसे अपनाना है।”

कुरुक्षेत्र केवल युद्ध भूमि नहीं, हर मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा है – वहीं से आत्मविकास होता है।

8. “जो बीत गया उस पर शोक मत करो, और जो आएगा उसकी चिंता मत करो – वर्तमान में जियो।

यह विचार सिखाता है कि वर्तमान में रहना ही सच्चा ध्यान और आत्मज्ञान है।

9“धर्म वह है जो दूसरों के लिए किया जाए, अधर्म वह जो केवल अपने लिए हो।”

श्रीकृष्ण का धर्म का मर्म यही है – दूसरों की भलाई में ही सच्ची आत्मा की जीत है।

10. “सच्चा योगी वही है जो हर परिस्थिति में शांत और स्थिर रहे।”

जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि आते-जाते रहेंगे, लेकिन जो सधा हुआ है – वही सच्चा भक्त है।


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