ज्ञान का सही उपयोग
आचार्य देव अपने घर के सामने पीपल के वृक्ष के नीचे विराजमान हैं, उनके चारों ओर युवा शिष्यों की टोली बैठी है। शांतिपूर्ण वातावरण में केवल पक्षियों की आवाज़ और शिष्यों की जिज्ञासु फुसफुसाहट सुनाई देती है। "बेटा, ज्ञान की असली परीक्षा तब है जब वह समाज के किसी काम आ सके," वे मुस्कुराकर कहते हैं।
एक उत्साही शिष्य आगे बढ़कर विनम्रता से पूछता है, "गुरुजी, हमें इतना ज्ञान मिला, पर हम इसका सही उपयोग कैसे करें?" बाकी शिष्य भी ध्यान से उनकी ओर देखने लगते हैं। वातावरण में एक गंभीरता छा जाती है, जैसे सबको अपने उत्तर का बेसब्री से इंतजार हो।
आचार्य देव शिष्यों की ओर देखकर पुरानी यादों में खो जाते हैं। "मैं तुम्हें एक राजा की कथा सुनाता हूँ, जिसने अपने ज्ञान से राज्य में खुशहाली लाई," वे धीरे-धीरे बोलना शुरू करते हैं। शिष्य मंत्रमुग्ध होकर उनकी कहानी सुनने लगते हैं, जैसे शब्दों से ही वह दृश्य सजीव हो गया हो।
राजा अपने मंत्री मंडल के साथ बैठकर योजनाएँ बना रहा है। "मुझे अपने राज्य के लोगों के लिए नई योजनाएँ बनानी हैं ताकि सबको बराबर का लाभ मिल सके," राजा कहता है। वह अपने ज्ञान का उपयोग खेती, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए करता है, जिससे राज्य में सुख-शांति फैल जाती है।
आचार्य देव शिष्यों को संबोधित करते हैं। "अब तुम्हारी बारी है। गाँव के अलग-अलग हिस्सों में जाओ, लोगों की समस्याएँ सुनो और उन्हें हल करने का प्रयास करो," वे आदेश देते हैं। शिष्य जोशीले हो उठते हैं, उनके चेहरों पर सेवा-भाव और उत्साह की चमक है।
एक शिष्य किसी किसान की फसल की समस्या सुलझाता है। "अब आपको समय पर पानी मिलेगा, आपके खेत हरे-भरे रहेंगे," वह मुस्कुराकर कहता है। गाँव की आबोहवा में बदलाव की हल्की-सी बयार महसूस होने लगती है।
हर शिष्य अपने अनुभव साझा करता है—किसी ने बीमार की मदद की, किसी ने झगड़े सुलझाए, किसी ने बच्चों को पढ़ाया। आचार्य देव सबकी बातें ध्यान से सुनते हैं और अंत में कहते हैं, "तुम सबने सिद्ध कर दिया कि ज्ञान का सही उपयोग वही है, जो दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए।"
गाँव के लोग आचार्य देव की शिक्षा को अपनाने लगे हैं। अब हर बच्चा, हर युवा अपने ज्ञान का उपयोग समाज के भले के लिए करने की ठानता है। गाँव में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता महसूस हो रही है।
बच्चे ध्यान से सुनते हैं और संकल्प लेते हैं कि वे भी ज्ञान का सही उपयोग करेंगे। यह कहानी गाँव में ही नहीं, आसपास के इलाकों में भी फैल जाती है और सबके लिए प्रेरणा बन जाती है।
हर ओर उल्लास और सहयोग का माहौल है। आचार्य देव संतोष से मुस्कुराते हैं, उन्हें विश्वास है कि समाज में सच्चा बदलाव आ गया है। कहानी का संदेश गूंजता है—ज्ञान का सही उपयोग समाज की भलाई में है, और यही सच्ची सफलता है।
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