नारी: शक्ति, सम्मान और प्रेरणा

 बच्चों सुनो ये बात पुरानी,
नारी न हो किसी की दासी।
माँ, बहन या वीर सिपाही,
नारी हर रूप में सब से न्यारी।
उसने ही तो जन्म दिया है,
जीवन में हर रंग भरा है।
घर हो या हो सरहद भारी,
नारी कभी नहीं है लाचारी।
पढ़ने का हक़ है उसको भी,
सपनों में उड़ने का हक़ भी।
आकाश को छूने की ठानी,
अब नारी नहीं बस दीवानी।
 सम्मान उसका सबसे पहले,
नारी के बिन जीवन है रेते।
बेटी को अब भार न मानो,
उसके सपनों को पहचानो।
जब नारी आगे बढ़ती है,
तो पूरी दुनिया गढ़ती है।
जो शिक्षा से उसे सजाओ,
देश को ऊँचाई पर पहुँचाओ।
बच्चों ये संदेश सदा रखना,
हर नारी को माँ सा समझना।
उसका हक़ कभी मत तोड़ो, 
उसके मन को मत तुम मरोड़ो।

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