"भारत के वीर: अमर बलिदान




 ना कोई मज़हब था उनके चेहरों पर,

ना कोई सियासत उनके ख़ून में थी।

वो तो बस थे भारत माँ के लाल,

जिन्होंने हँसते-हँसते जान दे दी।


लहू की हर बूँद बनेगी अग्नि की ज्वाला,

आतंक की जड़ें जलेंगी — होगा न्याय का उजाला।


ये चुप्पी नहीं, ये तूफ़ान का संकेत है,

अब हर दिल में एक सैनिक जीवित है। 

माँ ने भेजा था दुआओं के साथ,

लौटे तिरंगे में लिपटे हुए — सीने पर घाव सौ।


पर वो डरे नहीं, झुके नहीं,

बल्कि इतिहास के पन्नों पर अमर हो गए।


हे भारत माँ! थाम ले आँसू अपने,

तेरे सपूत अब भी हैं तेरे सपनों में।

हर गोली का जवाब मिलेगा यहां,

हम चुप नहीं बैठेंगे — ये वादा है ज़मीन से।


अब हर बच्चा कहेगा ये गीत,

'मैं भी बनूँगा देश का मीत।'

जो लड़ेगा हक़ की लड़ाई,

और मिटा देगा आतंक की परछाई। 


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