कहानी का नाम: "राम और श्याम की असली दोस्ती"
कहानी का नाम: "राम और श्याम की असली दोस्ती"
एक गाँव में दो सच्चे दोस्त रहते थे – राम और श्याम। दोनों बचपन से साथ खेले थे, साथ पढ़े थे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। गाँव के लोग उनकी दोस्ती की मिसाल देते थे।
एक बार गाँव में सूखा पड़ गया। खेतों में फसल नहीं हुई और खाने-पीने की कमी हो गई। बहुत से लोग गाँव छोड़कर शहर चले गए। राम और श्याम ने भी फैसला किया कि अब शहर जाकर काम करना चाहिए।
वे दोनों साथ में एक बड़े शहर की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक जंगल पार करना था। जंगल घना और डरावना था, लेकिन उनके पास कोई और रास्ता नहीं था।
चलते-चलते अचानक एक भालू उनके सामने आ गया। राम बहुत डर गया और जल्दी से पास के एक पेड़ पर चढ़ गया। श्याम पेड़ पर नहीं चढ़ सका। उसने सुना था कि भालू मरे हुए इंसान को नहीं छूता। वह तुरंत ज़मीन पर लेट गया और सांस रोक ली।
भालू आया, श्याम के पास गया, उसे सूँघा और फिर चला गया।
जब भालू चला गया, तो राम पेड़ से नीचे उतरा और बोला,
"भाई, भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?"
श्याम ने मुस्कराकर जवाब दिया,
"भालू कह रहा था कि जो दोस्त मुश्किल समय में साथ न दे, उससे दूर रहो।"
राम को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने श्याम से माफी माँगी और वादा किया कि अब वह कभी भी उसे अकेला नहीं छोड़ेगा।
सीख:
सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ खड़ा हो। अच्छे समय में तो सभी साथ होते हैं, लेकिन बुरा वक्त ही असली दोस्ती की परीक्षा होती है।
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